Page 28 - दिल्ली नगर निगम पत्रिका 'निगम आलोक-2024'
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विंदरी भाषा
वहांिली मेरे उर बसली, तुझ वबन मैं हूँ कौन।
वहांिली में व्खतली रहूँ, वरन रहूँ मैं मौन।
दिललरी नगर दनगि के राजभाषा दवभाग की किमािाररी होने के नाते िैं जन-जन को गवमा से कहना िाहतरी हूँ दक
दहंिरी िेररी िातृभाषा है। िैं दहंिरी बोलने िें खुि को गौरवादन्वत िहसूस करतरी हूँ यह एक सरल, सुगि एवं वैज्ादनक
भाषा है।
आजकल हि कहीं भरी जाते हैं तो िेखते हैं दक हर जगह अंग्रेजरी का विमासव है। हर कोई िाहे अंग्रेजरी ठरीक से
जानता भरी ना हो, टूटे-फ ू टे अंग्रेजरी के वाकयों से अपनरी श्ेठिता दसधि करना िाहता है। पर ऐसा दबलक ु ल भरी नहीं है।
भाषा वहरी अच्री दजसिें भाव की अदभवयदक्त ठरीक से हो सके । दहंिरी दजतनरी वैज्ादनक भाषा िुदनया िें कोई भरी नहीं
है। दहंिरी को जैसा बोला जाता है वैसे हरी दलखा जाता है। हर सार्माक धवदन के दलए एक दलदप है।
वहांिली की वैज्ावनकता
1. क वगमा- क, ख, ग, घ, ड. क ं ठसर् कहलाते हैं कयोंदक ये धवदनयाँ क ं ठ से दनकलतरी हैं।
2. ि वगमा- ि, ्, ज, झ, ञ तालवय कहलाते हैं कयोंदक इनकें उचिारण जरीभ तालू से लगतरी है।
3. ट वगमा- ट, ठ, ड, ढ़ ण िूिमान्य कहलाते हैं कयोंदक इनकें उचिारण िें जरीभ िूिामा से लगतरी है।
4. त वगमा- त, र्, ि, ि, न िंतवय कहलाते हैं कयोंदक इनकें उचिारण िें जरीभ िांतों से लगतरी है।
5. प वगमा- प, फ, ब, भ, ि ओष्टय कहलाते हैं कयोंदक इनका उचिारण होठों से होता है।
िैं अंग्रेजरी भाषा को दलखना व बोलना जानतरी हूँ। पर िेरा यह िानना है दक िैं दहंिरी िें अपनरी बात की अदभवयदक्त
अदिक सपष्ट तररीके से कर सकतरी हूँ। बिपन से अभयसत होने के कारण िैं दहंिरी िें सरलता से अपने दविार रख पातरी
हूँ। िैं दहंिरी को जयािा आतिदवश्वास के सार् बोल पातरी हूँ। अदिक से अदिक भाषाएं सरीखना अच्री बात है लेदकन
िातृभाषा से जुड़ाव होना जरूररी है कयोंदक यह हिाररी संसकृदत से हिें जोड़कर रखतरी है।
स्ोनली जैन
कदनठि सदिवालय सहायक
राजभाषा दवभाग
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