Page 23 - दिल्ली नगर निगम पत्रिका 'निगम आलोक-2024'
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िर्षमान पररदशय में विंदरी का मिति
ृ
आज के वैश्वरीकरण के युग िें दहंिरी भाषा का िहतव और उसकी प्ासंदगकता एक जदटल और संवेिनशरील दवषय
है । दहंिरी, जो हिाररी सांसकृदतक िरोहर और पहिान का अदभन्न अंग है आज एक ऐसे िोड़ पर खड़री है जहाँ उसे
अपनरी प्ासंदगकता और अदसततव के दलए संघषमा करना पड़ रहा है ।
भाराई सांघर्ष और वहांिली की वसथिवत
दहंिरी भाषा, जो कभरी भारतरीय सिाज की िड़कन र्री, आज तकनरीकी और आदर्माक प्गदत के िबाव िें कहीं
खोतरी जा रहरी है । अंग्रेजरी भाषा का विमासव और उसकी अदनवायमाता ने दहंिरी को एक दद्तरीयक सर्ान पर िके ल दिया
है । शहररी क्षेरिों िें, दवशेषकर युवा परीढ़री के बरीि, दहंिरी का प्योग के वल घरेलू और अनौपिाररक संवाि तक सरीदित
हो गया है । दशक्षा, वयवसाय और तकनरीकी क्षेरिों िें अंग्रेजरी का प्भुतव सपष्ट रूप से िेखा जा सकता है ।
सांसक ृ वत और पहचान का सांकट
दहंिरी भाषा का पतन के वल एक भाषाई संकट नहीं है, बदलक यह हिाररी सांसकृदतक पहिान और दवरासत के
दलए भरी एक गंभरीर खतरा है । भाषा के वल संवाि का िाधयि नहीं होतरी, यह हिाररी सोि, हिाररी संसकृदत और हिारे
िूलयों का प्दतदबंब होतरी है । दहंिरी का किजोर होना, हिाररी सांसकृदतक जड़ों से कटने जैसा है । यह एक ििमानाक
सचिाई है दक हि अपनरी हरी भाषा और संसकृदत से िूर होते जा रहे हैं ।
वहांिली का भववषय और सांभावनाएँ
हालांदक, इस दनराशाजनक पररदृशय िें भरी उमिरीि की दकरणें हैं । दहंिरी-सादहतय, दसनेिा और संगरीत के िाधयि
से आज भरी अपनरी पहिान बनाए हुए है । दडदजटल पलेटफॉिमा और सोशल िरीदडया ने दहंिरी को एक नया िंि प्िान
दकया है, जहाँ युवा परीढ़री अपनरी भाषा िें संवाि कर सकतरी है । सरकाररी प्यासों और नरीदतयों के िाधयि से भरी दहंिरी
को प्ोतसादहत करने के प्यास दकए जा रहे हैं ।
वनषकर्ष
वतमािान पररदृशय िें दहंिरी का िहतव और उसकी प्ासंदगकता को बनाए रखना एक िुनौतरीपूणमा कायमा है । यह हि
सभरी की दजमिेिाररी है दक हि अपनरी भाषा और संसकृदत को संजोए रखें और आने वालरी परीदढ़यों को इसकी िहत्ा
से अवगत कराएँ । दहंिरी के वल एक भाषा नहीं, बदलक हिाररी पहिान, हिाररी संसकृदत और हिारे अदसततव का प्तरीक
है । इसे संरदक्षत करना और प्ोतसादहत करना हिारा कतमावय है ।
जयववजय
दशक्षक
क्षेरि/दवभाग : शाहिरा िदक्षण (दशक्षा दवभाग)
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