Page 24 - दिल्ली नगर निगम पत्रिका 'निगम आलोक-2024'
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प्रथिम पुरसकार प्राप्त वनबांि
मेरे सपनो का भारर
'भारत' नाि सुनते हरी हृिय पर दहंिुसतान की जो ्दव उभरतरी हुई प्तरीत होतरी है उसे एक गरीतकार ने बहुत हरी
सुंिर शबिों िें दपरोते हुए कहा-
िरतली सुनहरली, अांबर नली्ा
हर मौसम रांगली्ा, ऐसा िेर है मेरा ़ ़ ़
भारतवषमा के दवषय िें दजतने भरी गरीतकारों, इदतहासकारों, भाषादवि् को पढ़ा जाए, सुना जाए उतना हरी कि है
कयोंदक क ु ् ऐसरी हरी ्दव भारत की अंदकत है पूरे दवश्व िें ।
भारत वषमा अनेक ऋदषयों, िुदनयों एवं िहदषमायों का दप्य दनवास सर्ल भरी रहा है जहाँ सवािरी दववेकानंि जैसे
िहान संतों का जन्ि भरी हुआ दजन्होंने भारत की गररिा के परिि के वल दहंिुसतान िें नहीं अदपतु संपूणमा दवश्व िें
फहराए । ये क ु ् एकिारि उिाहरण भर है दजनके िाधयि से भारत िेश को इदतहास िें जाना गया । इसरी श्ृंखला िें
प्ोफेसर रािानुजन का नाि भरी सवदणमाि अक्षरों िें अंदकत है, आयमाभट् द्ारा िरी गई शून्य दकसको सिरण नहीं होगरी ।
ऐसे हरी अनेक दवद्ान हुए दजन्होंने अपने अिभुत् योगिानों द्ारा भारत का िान सिैव बढ़ाया ।
भारत एक ऐसा िेश है दजसके उत्र िें खड़ा दहिालय उसकी सिैव रक्षा करता है एवं भारत िेश िें एक अच्ा
िौसि बनाने के दलए भरी उत्रिायरी है । िदक्षण िें दसर्त दहंि िहासागर, भारत को दवदभन्न जलरीय संपिाओं से पररपूणमा
करता है । भारत के पूवमा िें दसर्त गारो, खासरी, नागा की पहादड़याँ, पूवथी राजयों की रक्षा करतरी हैं एवं वनसपदतयों के
दलए भरी आवशयक सािग्ररी प्िान करने िें सहायक हैं । पदचििरी ्ोर पर दसर्त रेदगसतान भरी भारत को एक अदभन्न
क्षेरि बनाने िें भूदिका दनभाता है । यह कहना अदतशयोदक्त न होगा दक भारत एक संपन्न राजय है दजसकी रक्षा सवयं
प्कृदत करतरी है ।
अभरी तक हिने भारत के इदतहास एवं भूगोल के बारे िें जाना एवं सिझा दक ं तु भारत के वतमािान को जानना भरी
आवशयक हो जाता है ।
भारत िेश िें, वतमािान सिय िें अनेक दवकास गदतदवदियाँ दक्रयान्वयन िें है दजसके फलसवरूप भारत िें अनेक
बिलाव िेखने को दिलते हैं जैसे पहले भारत िें दशदक्षत िर बहुत कि हुआ करता र्ा परंतु अब इसिें भरी अच्ा
सुिार हुआ है । भारत की दशक्षा प्णालरी िें भरी अनेक बिलाव हुए । सवास्थय क्षेरि, सेवा क्षेरि, दनिामाण क्षेरि प्तयेक
क्षेरिों िें अिूक बिलावों के पररणािसवरूप, भारतवषमा दवकासशरील िेशों की दगनतरी िें शादिल हुआ । इन सभरी
गदतदवदियों के कारण हरी भारत िंद्यान जैसे दिशन िें काियाब भरी हुआ । आदर्माक सतर की बात की जाए तो भारत
की सकल घरेलू उतपाि िें लगातार वृदधि तरककी की तरफ इशारा करतरी है । सािादजक सतर पर भरी लोगों के दविारों
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