Page 34 - दिल्ली नगर निगम पत्रिका 'निगम आलोक-2024'
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इस प्कृदत के  दवनाश िें,

                 बदलरा                           आज सबकी साझेिाररी हैं ।          शुधि वयाकरण से सजरी हो तुि ।

                                                                                 वैज्ादनक त्थयों पर खररी हो तुि ।
                  पररिेश
                                                 आओं दिलकर सुिार करें,           जैसरी बोलरी वैसरी दलखरी हो तुि ।

                                                   इसिें हरी सिझिाररी हैं,      दवदभन्न बोदलयो िें सिादहत तुि ।

              सोिो, दकतना क ु ् दिया,              वरना पतन दनदचित है,             दहंिरी तुि भाषा िहान हो । ।

                    इस क ु िरत ने,            हे िानवणण्! ये जंग रोज जाररी है ।

              हिने सब दबगाड़ डाला है,                                              िेवों की नगररी से आई हो तुि ।

            इस परीढ़री िर परीढ़री ने दिलकर,                         श्रलीभगवान       सबके  दिलों िें ्ाई हो तुि ।

              सब दवधवंस कर डाला है ।                                अधयापक          सादहतय को संवारतरी तुि ।

              इस रंग.दबरंगरी िुदनयां को,                                            जरीवन को दनखारतरी तुि ।

                 वरीरान बना डाला है,                                               दहंिरी तुि भाषा िहान हो । ।

            दखलरी प्कृदत को नोंि-नोंिकर,
               सब बंजर कर डाला है ।                                                दिल िें तुि िदसतषक िें तुि ।


              हरे.भरे खेत, नदियां, झरने,     विंदरी रुम भाषा                         ररशतो की नींव हो तुि ।
             जो शोभा र्े दजस िरतरी पर,           मिान िो ।                          िेश के  कण कण िें तुि ।

            आज काट-काटकर जंगलों को,                                                  संप्ेषण का सािन तुि ।

           बहुिंद़िला इिारत बना डाला है ।                                          दहंिरी तुि भाषा िहान हो । ।

            िारों तरफ िूल, भरीड़, प्िूषण,         दहंिरी तुि भाषा िहान हो ।
                                                 तुि दहंि की पहिान हो ।
                 हर ररशतों िें िरारें हैं,                                                        सुनली् क ु मार

             पैंतादलस-पिास की उम्र िें,         तुि दसंि का अदभिान हो ।                                अधयापक

           लोग हो रहे भगवान को पयारे हैं ।      िेरे िेश का सवादभिान हो ।                          दशक्षा दवभाग

              खान-पान का वेश बिला,              दहंिरी तुि भाषा िहान हो । ।             दनगि दवद्ालय, जनकपुररी

               रोज आतरी नई बरीिाररी हैं,                                                              पदचिि क्षेरि
                                                   संसकृत से जन्िरी तुि ।
           फल-सदबजयों को लगते इंजेकशन,

              खाना सबकी लािाररी है ।              संसकारों से संवररी तुि ।
                                                 भाषाओं िें सबल हो तुि ।
              कब तक दकसको िोष िें,

              हि सब पापरी, िुरािाररी हैं,       सहज सरल अदभवयदक्त तुि ।
                                                दहंिरी तुि भाषा िहान हो । ।


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