Page 40 - दिल्ली नगर निगम पत्रिका 'निगम आलोक-2024'
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एक िरा और एक गगन है

          संसकृ वर अनेक, कु टुंब                                            एक हरी सबका पानरी है,


                              एक                                          भाव अलग, सवभाव अलग
                                                                          अलग अलग हरी कहानरी है ।

                                                                            एक हरी सूरज एक िन्द्िा

                         सात रंग हैं इंद्िनुष के                            गरीत भले हरी अलग से हैं

                        सारे दिलकर दखले हुए,                              अलग भले हो सबको खाना

                       साररी िुदनया एक क ु टुंब है                          सरगि के  सुर एक से हैं ।

                        प्ेि संग सब दिले हुए ।                            कला दिलातरी कला जगातरी

                        सब िियों का एक सार है                                कला िें हरी फ़नकाररी हैं

                        सभयताओं िें पयार बढ़े,                              साररी िुदनया सार् िले तो
                       रंग रूप सब अलग भले हैं                                 साररी िरा हिाररी है ।


                       पर संसकृदत ले संग िलें ।                                                          रोरनली
                        उत्र से तुि िदक्षण िेखो                                                      अधयादपका

                          पूवमा से तुि पदचिि,

           नृतय कला और साहस से हि आपस िें हैं दिले हुए ।

                       एक िरा का सपना बुन लो

                        संकट िें सब अड़े खड़े,

                     बाल भरी बांका हो ना दकसरी से,                 मेररी माटरी मेरा देश

                        यूं आपस िें दिले हुए ।

                     वसुिैव क ु टुमबकि का नारा है                       िेररी िाटरी, िेरा िेश, िेरा ये वतन

                       सारा जग हिको पयारा है,                                    िेरा ये वतन ।

                       सात सिंिर पार भरी िेखो                         दखला रहे, सिा यहां, पयार का ििन,

                          अपना भाईिारा है ।
                                                                              ये पयार का ििन ।
                        वहरी हवा है वहरी गगन है                        िेररी िाटरी, िेरा िेश, िेरा ये वतन.....

                     दिट्री की िहक हर ओर बसरी,

                       एक जगत के  सभरी हैं वासरी                             सलाि उन शहरीिों को,

                       भले कहानरी अलग रिरी ।
                                                                                जो िेश पर दिटे ।


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