Page 41 - दिल्ली नगर निगम पत्रिका 'निगम आलोक-2024'
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लाख हो िुसरीबतें,
पर परी्े ना हटे । माँ
वरीरता की गार्ा गाए, िेरा ये वतन,
ये पयार का ििन ।
िाँ, कहाँ िरतरी है.....!
िेररी िाटरी................वतन । रहतरी है दजंिा,
अपने बचिों की िड़कन िें ।
सफलता की ऊ ं िाइयों को, आँगन के उजाले िें ,
िेश ये ्ुए । दिदड़या सरी िहकतरी है ।
कया हुआ जो िांि तारे, िाँ, कहाँ िरतरी है..... !
इतनरी िूर हुए ।
आँगन की िूप िें,
अंतररक्ष की सैर करे,िेरा ये वतन, ििुिालतरी की ्ाँह सरी ।
ये पयार का ििन । सारे िोहलले िें,
िेररी िाटरी ...................वतन । रसोई के िसालों सरी,िहकतरी है ।
िाँ, कहाँ िरतरी है.....!
दतरंगा िेररी शान,
अभरी भरी बरसतरी हैं,
िेरा िान अदभिान । बरकतें उसकी आँिल िें ।
घर घर पर ये लहरा रहा है, पैरवरी िें बचिों की,
बन के सवादभिान । ऊपर भरी, ईश्वर से उलझतरी है ।
आज खुशरी से गा रहा, िेरा ये वतन, िाँ, कहाँ िरतरी है....!
ये पयार का ििन ।
िेररी िाटरी, िेरा िेश, िेरा ये वतन, िेरा ये वतन । सपनों िें होतरी है,
दखला रहे सिा यहां, पयार का ििन । िेररी नजरों के सािने ।
खुलते हरी आँख,
ये पयार का ििन , ये पयार का वतन । । जाने कहाँ जा द्पतरी है ।
पर, िाँ, कहाँ िरतरी है....!
मलीनाकली (सटेट अवा्डथी 2024)
अधयादपका
सांिलीप हु्ड््डा
अधयापक
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